NewsInb:– कर्जदार और साहूकार का रिश्ता मजबूरी और शोषण पर आधारित रहा है, चाहे वह स्मार्ट सिटी सहारनपुर हो या कोई पिछड़ा हुआ गांव, एक बार अगर कोई सूदखोर के जाल में फंस गया, तो उसका बच निकलना मुश्किल है, सूदखोरों का ब्याज इतनी तेजी से बढ़ता है कि पीड़ित चुका ही नहीं पाता, ऐसे में सूदखोर पीड़ित पर दबाव बनाने लगते हैं, उसका उत्पीड़न करते हैं, कर्ज न चुका पाने पर जमीन और जेवरात बेचने का दबाव बनाते हैं, इससे परेशान होकर अंतत: कर्जदार आत्महत्या को मजबूर हो जाता है, ज़िलें में सूदखोरी का धंधा तेजी से फल-फूल रहा है, सूदखोर बिना लाइसेंस धंधा कर रहे हैं, सूदखोरों के जाल में फंस कर लोग आत्महत्या तक कर ले रहे हैं, ब्याज के एवज में लोगों की जमीन जायदाद सूदखोर हड़प ले रहे हैं, पूरे शहर में ब्याज पर रकम देकर कर्जदार से कई गुना राशि वसूलने की शिकायतें आम हैं, हालांकि, बिरले ही कोई थाने में इसकी शिकायत करता है, जबकि यह सुदख़ोरी नही मौत का खेल हर थाना क्षेत्र में बड़े पैमाने पर किया जा रहा है, लेकिन मज़ाल है कि कोई कार्यवाई हो? सूदखोरी करने वाले लोग बिना लाइसेंस रुपये उधार देते हैं और गरीबों की मजबूरी का फायदा उठाकर आजीवन उनसे अवैध रूप से ब्याज वसूलते हैं, वसूली के लिए अपराधियों को भी एजेंट बनाकर रखा है, जो सूद पर उधार लेने वालों को डरा-धमकाकर, प्रताड़ित कर पैसे की उगाही करते हैं, ब्याज व मूलधन की राशि समय पर नहीं लौटा पाने पर सूदखोर जमीन, जायदाद सहित अन्य संपत्ति गिरवी रखवा लेते हैं, इसकी वजह से सूदखोरी के जाल में फंसे लोग खुदकुशी को मजबूर होते हैं, यह सुदख़ोरी का जाल अब गांव गांव और घर घर मे फैल चुका है, गांव में महिलाओं के समूह बनाकर उन्हें कर्ज़ दिया जा रहा है, बड़े पैमाने पर कर्ज देकर उनसे उनकी आज़ादी छीनी जा रही है, रात दिन खेतो में काम कर महिलाएं सूदखोरों का कर्ज उतार रही है, जो महिला कर्ज़ नही दे पा रही है वह अपने घरों को छोड़कर गांव से जा चुकी है या उनका कोई अता पता नही है, ऐसे में स्थानीय पुलिस भी अनदेखा कर रही है, क्योकि सुदख़ोरी करने वाले बड़े रुतबे के साथ पुलिस से साठ गांठ कर लेते है, कर्ज़ लेकर ना देना गलत है लेकिन ग़रीबी में कर्ज देकर उसका खून चूसना सबसे बड़ा पाप है, जहाँ लोगो को मदद करनी चाहिये वहां लोग गरीबी व जरूरतमंद का फायदा उठाकर उन्हें मौत की दलदल में धकेल रहे है, अगर समय रहते जनता को सुदख़ोरी के ख़िलाफ़ अभियान चलाकर जागरूक नही किया गया या कोई ठोस कदम नही उठाया गया तो परिणाम इसके बहुत खराब हो सकते है, क्योकि लोग जिंदगी को सूदखोरों के पास गिरवी ऱखकर मौत को गले लगा रहें है।