बरेली: सारे दलाल भगा दिए..! अब हमारे पैसे कौन लौटाएगा

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डूडा दफ्तर में पहुंचे परेशान लोग दलालों को तलाश करते रहे

बरेली, न्यूज़ आईएनबी। डीएम के बृहस्पतिवार को डूडा दफ्तर में छापा मारकर एक दलाल के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराए जाने के बाद शुक्रवार को यहां माहौल बदला नजर आया। न रोज की तरह अफसरों के सामने ही कार्यालय में जमे रहने वाले दलाल नजर आए और न ही उनके इर्दगिर्द रहने वाला फरियादियों का जमावड़ा। ऐसे लोग जरूर लगातार पहुंचकर अफसरों से ही दलालों का पता पूछते रहे, जिन्होंने स्वनिधि या प्रधानमंत्री आवास के लिए उन्हें पैसे दे रखे थे।

मीरगंज से आए राजकुमार ने बताया कि उनका जोगीनवादा में एक प्लॉट है। दो महीने पहले डूडा कार्यालय में पीएम आवास के लिए परवेज और विनय नाम के दलाल से बात हुई थी। उन्होंने दूसरे आवेदकों के साथ घर बुलाया तो वह, उनकी पत्नी चंद्रकली के अलावा अनीता और सुशीला देवी नाम की दो और महिलाएं उनके घर पहुंची थीं। तीनों से उसने आवास मंजूर कराने के लिए 15-15 हजार रुपये लिए। पैसे देने के बाद वह कई बार उससे मिले, वह जल्द आवास दिलाने का आश्वासन देता रहा। आज आए तो न यहां मिला, न ही उनका फोन रिसीव कर रहा है। राजकुमार ने बताया कि दोनों दलाल अफसरों में घुसे रहते थे लेकिन अब अफसर भी कुछ नहीं बता रहे हैं।

नवादा शेखान में रहने वाले प्रवीन ने बताया कि उन्होंने भी एक दलाल को प्रधानमंत्री आवास के लिए 10 हजार रुपये दिए थे। बोले- आवास का तो पता नहीं, पता नहीं पैसे भी अब वापस मिलेंगे या नहीं। इसी तरह सुभाषनगर के फिरासत ने बताया कि स्वनिधि ऋण योजना के लिए वह दलाल को दो बार पैसे दे चुके हैं। अब तक उनका ऋण मंजूर नहीं हुआ है। अफसर भी अब कुछ बताने को तैयार नहीं हैं।

अफसर बस माल काटते हैं, दलाल ही चलाते हैं इस कार्यालय को
लोगों ने बताया कि वे लोग कई बार डूडा कार्यालय आ चुके हैं लेकिन यहां के अधिकारी या कर्मचारी कभी किसी आवेदक से बात तक करने को तैयार नहीं होते। लोगों को दलालों से ही बात करनी पड़ती है और उनसे सौदा होने के बाद लोगों के काम भी हो जाते हैं। लाइन में लगे रहने वाले लोगों को कोई न कोई पट्टी पढ़ाकर लौटा दिया जाता है। हर काम का रेट दलालों की जबान पर चढ़ा रहता है। हालांकि शुक्रवार को डूडा कार्यालय में सन्नाटा पसरा दिखा। कार्यालय के अंदर सिर्फ अधिकारी और कर्मचारी ही थे। आम दिनों में कार्यालय दलालों के साथ आवेदकों की भीड़ से ठसाठस रहता था।

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