श्रीनगर। जम्मू कश्मीर के लिए 2023 कई मामलों में महत्वपूर्ण वर्ष रहा। उच्चतम न्यायालय ने इसे विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को रद्द करने और पूर्ववर्ती राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के केंद्र के फैसले पर मुहर लगा दी तथा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने कश्मीर घाटी में जी-20 की अहम बैठक आयोजित कर कूटनीतिक सफलता हासिल की।
केंद्र शासित प्रदेश के लिए एक साल और ऐसा बीता जब जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव नहीं हुए और इन सर्दियों में प्रस्तावित पंचायत चुनाव एवं शहरी स्थानीय निकाय चुनाव भी टाल दिए गए। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शासित केंद्र सरकार को उस समय बड़ी सफलता मिली जब उच्चतम न्यायालय के पांच न्यायाधीशों की पीठ ने जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को रद्द करने के संबंध में सरकार द्वारा अगस्त 2019 में लिए गए फैसले को बरकरार रखा।
अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर करने वालों में शामिल नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने विशेष दर्जे की बहाली के लिए संघर्ष जारी रखने का संकल्प लिया है। पीडीपी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने उच्चतम न्यायालय के 11 दिसंबर के फैसले के बाद कहा, ‘‘हमें हिम्मत नहीं हारनी है। हम अपना संघर्ष जारी रखेंगे। उच्चतम न्यायालय भगवान नहीं है। उसी उच्चतम न्यायालय ने पहले कहा था कि (जम्मू कश्मीर) संविधान सभा की सिफारिश के बिना अनुच्छेद 370 में संशोधन नहीं किया जा सकता। वे भी विद्वान न्यायाधीश थे। आज कुछ अन्य न्यायाधीशों ने फैसला सुनाया। हम इसे भगवान का फैसला नहीं मान सकते।’’ नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘मैं निराश हूं लेकिन हतोत्साहित नहीं हूं। संघर्ष जारी रहेगा। हम लंबी लड़ाई के लिए तैयार हैं।’’
पूर्व मुख्यमंत्री एवं डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (डीपीएपी) के अध्यक्ष गुलाम नबी आजाद ने उच्चतम न्यायालय के फैसले को ‘‘दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण’’ बताया, लेकिन साथ ही कहा कि हरेक को इसे ‘‘भारी मन से’’ स्वीकार करना होगा। हैरानी की बात यह है कि उच्चतम न्यायालय के फैसले पर आम जनता की ओर से कोई खास प्रतिक्रिया नहीं आई। भाजपा ने इस फैसले पर खुशी मनाई।
पार्टी ने श्रीनगर में पर्यटन पर एक महत्वपूर्ण जी20 बैठक आयोजित करके अहम सफलता हासिल की थी क्योंकि अधिकतर सदस्य देशों के प्रतिनिधियों ने इसमें हिस्सा लिया था। जी20 कार्यक्रम की मेजबानी कश्मीर में विकास कार्यों के लिए अहम साबित हुई। लाल चौक पर ऐतिहासिक घंटा घर को पुनर्विकसित किए जाने से शहर का यह चौराहा पर्यटक का एक लोकप्रिय केंद्र बन गया है। झेलम बांध पैदल पथ शाम की सैर के लिए शहरवासियों की पसंदीदा जगह बन गया है।
प्रदूषण से निपटने और परिवहन सुविधा में सुधार करने के उद्देश्य से इलेक्ट्रिक बसों और ई-रिक्शा का संचालन शुरू किया गया। कश्मीर में सामान्य सुरक्षा स्थिति में व्यापक सुधार सहित कई सकारात्मक चीजें हुईं लेकिन विपक्षी दलों ने विभिन्न निकायों के चुनाव कराने में देरी की आलोचना की है। जम्मू कश्मीर में इससे पहले विधानसभा चुनाव 2014 में हुए थे। जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम को संसद द्वारा पारित किए हुए चार साल बीत चुके हैं।
पंचायत और स्थानीय निकाय चुनाव 2018 में हुए थे और ये इस साल नवंबर-दिसंबर में होने वाले थे लेकिन प्रशासन ने कोई स्पष्टीकरण दिए बिना इन चुनावों को भी स्थगित कर दिया। घाटी में सुरक्षा स्थिति में इस साल अपेक्षाकृत सुधार हुआ, लेकिन आतंकवादियों ने अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों और सुरक्षा बलों पर लक्षित हमले जारी रखे।
साल की शुरुआत में एक जनवरी को आतंकवादियों ने राजौरी के ढांगरी इलाके में चार आम नागरिकों की हत्या कर दी थी, जबकि उसी दिन एक आईईडी विस्फोट में उसी क्षेत्र में दो और नागरिकों की मौत हो गई। पुंछ और राजौरी के सीमावर्ती जिलों में इस साल कुछ बड़े आतंकवादी हमले हुए, जिनमें 15 से अधिक सैनिक शहीद हो गए और छह आम नागरिक मारे गए। ये हमले भाटा दुराई। (20 अप्रैल), केसरी हिल्स (पांच मई) और डेरा की गली (21 दिसंबर) में हुए।
कश्मीर घाटी में भी आतंकवादी हमले हुए। अनंतनाग जिले के कोकेरनाग इलाके में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में सेना के एक कर्नल, एक मेजर और एक पुलिस उपाधीक्षक शहीद हो गए। श्रीनगर के ईदगाह मैदान में क्रिकेट खेल रहे पुलिस निरीक्षक मसरूर अहमद वानी की आतंकवादी हमले में जान चली गई। बारामूला जिले की एक मस्जिद में इस महीने ‘अजान’ पढ़ रहे एक सेवानिवृत्त वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की आतंकवादियों ने गोली मारकर हत्या कर दी।