हैप्पी बर्थडे दादा। लगातार 4 साल 1300 से ज्यादा रन बनाने वाले इकलौते बल्लेबाज और एक ऐसे कप्तान जिसने टीम इंडिया को विदेश में आक्रामक क्रिकेट खेलकर जीतना सिखाया। विपक्षी टीम के खिलाड़ियों की आंखों में आंखें डालकर लड़ना सिखाया। सौरभ गांगुली का जन्म 8 जुलाई 1972 को कोलकाता के एक बंगाली परिवार में हुआ था। उनके पिता बंगाल क्रिकेट एसोसिएशन के सदस्य थे। इस वजह से उनका ग्राउंड पर आना-जाना था। वह क्रिकेट से ज्यादा फुटबॉल को पंसद करते थे और एक फुटबॉलर बनना चाहते थे। दसवीं तक उन्होंने फुटबॉल खेला। उनकी शैतानियों की वजह से उन्हें क्रिकेट ग्राउंड पर भेजा जाने लगा और इस तरह उनकी जिंदगी में क्रिकेट का प्रवेश हुआ। परिवार को लगा था कि सौरभ क्रिकेट खेल कर थोड़ा डिसिप्लिन सीख जाएंगे और फिर अपनी जिंदगी में कुछ बेहतर कर पाएंगे। पर दादा ने क्रिकेट में तूफान उठा दिया।
सौरभ गांगुली ने साल 1989 में रणजी में डेब्यू किया। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। 11 जनवरी 1992 में वेस्टइंडीज के खिलाफ सौरभ गांगुली ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में डेब्यू किया। महज एक मैच के बाद ही सौरभ को टीम से ड्रॉप कर दिया गया। उन पर आरोप लगा कि वह घमंडी हैं। कुछ ऐसा ही आरोप मौजूदा दौर में सरफराज खान पर भी लग रहा है। पर गांगुली ने इस मसले में खुलकर सरफराज का समर्थन किया है, क्योंकि वह खुद भी ऐसा कुछ झेल चुके हैं। हालांकि, बाद में दादा के घमंडी होने का आरोप गलत साबित हुआ। साल 1996 में इंग्लैंड के खिलाफ लॉर्ड्स में टेस्ट डेब्यू करते हुए दादा ने 301 गेंद पर 131 रन बनाए। डेब्यू टेस्ट सीरीज में बेहतरीन प्रदर्शन करने के बाद जब वह भारत लौटे, तो सौरव गांगुली को किंग ऑफ कोलकाता कहके पुकारा गया। गांगुली साल 1997 से लेकर 2000 तक हर वर्ष 1300 से ज्यादा रन बनाने वाले इकलौते भारतीय बल्लेबाज थे। आज तक उनका यह रिकॉर्ड नहीं टूटा।
साल 2000 में जब भारतीय क्रिकेट में फिक्सिंग का खुलासा हुआ, तो टीम का भविष्य अंधेरे में नजर आ रहा था। सचिन तेंदुलकर ने कप्तानी करने से माना कर दिया। बतौर कप्तान तेंदुलकर का रिकॉर्ड बेहद खराब रहा था। कोच कपिल देव से भी उनकी नहीं बनी थी। ऐसे में सचिन अपने इंडिविजुअल गेम पर फोकस करना चाहते थे। तब सौरव गांगुली ने आगे बढ़कर टीम की कमान थमी। दादा की कप्तानी में भारतीय क्रिकेट टीम का नया अध्याय शुरू हुआ। सौरव की कप्तानी में टीम इंडिया ने विरोधी टीमों को उनके घरों में मात देकर भारतीय टीम के नाम डंका बजाया। दादा ने भारतीय टीम को दादागिरी सिखाई, जिससे टीम बेखौफ होकर खेलने लगी। गांगुली की कप्तानी में 2001 में टीम इंडिया ने ऑस्ट्रेलिया को बॉर्डर गावस्कर टेस्ट सीरीज में 2-1 से हराया था। सौरभ गांगुली जैसे को तैसा का जवाब देने में विश्वास रखते थे। क्रिकेट फील्ड पर वह किसी के सामने झुकते नहीं थे। राहुल द्रविड़ सौरव गांगुली को ऑफसाइड का भगवान कहते थे। इस बीच भारतीय कप्तान और इंग्लिश टीम के सबसे बड़े ऑलराउंडर के बीच कुछ ऐसा हुआ, जिसे क्रिकेट इतिहास कभी नहीं भुला पाएगा।
दादा और एंड्रयू फ्लिंटॉफ की भिड़ंत ने वर्ल्ड क्रिकेट में कोहराम मचा दिया। सौरव गांगुली और एंड्रयू फ्लिंटॉफ के बीच तकरार साल 2002 में शुरू हुई थी, जब इंग्लैंड की टीम 6 मैचों की वनडे सीरीज खेलने भारत आई थी। मुंबई में खेले गए आखिरी वनडे में इंग्लैंड ने भारत को हराकर सीरीज 3-3 से बराकर कर दिया। वनडे सीरीज को बराबार करने के तुरंत बाद एंड्रयू फ्लिंटॉफ ने मैदान में अपनी जर्सी उतार दी थी और भारतीय कप्तान को चिढ़ाने की कोशिश की। उसी साल इंग्लैंड में खेली गई नेटवेस्ट ट्रॉफी में रोमांचक फाइनल खेला गया और टीम इंडिया ने अंग्रेजों के जबड़े से जीत छीन ली। इस जीत के बाद सौरव गांगुली ने अपनी दादागिरी दिखाई और वो लॉर्ड्स क्रिकेट ग्राउंड की बालकनी में अपनी टी-शर्ट लहराने लगे। ये सीन हमेशा के लिए क्रिकेट के इतिहास में दर्ज हो गया। गांगुली ने एंड्रयू फ्लिंटॉफ को उसी की भाषा में जवाब दिया था। सौरव गांगुली की कप्तानी में 1983 विश्व कप जीत के 20 साल बाद 2003 में टीम इंडिया ने वर्ल्ड कप में फाइनल का सफर तय किया था।
साल 2004 में जॉन राइट के बाद ग्रेग चैपल को टीम इंडिया का कोच बनवाने में कप्तान सौरव गांगुली की महत्वपूर्ण भूमिका थी। हालांकि चैपल के पद संभालते ही कप्तान और कोच में अनबन हो गई। जिसका नतीजा यह रहा कि साल 2000 से लेकर 2005 तक टीम इंडिया की कमान संभालने वाले सौरव गांगुली की कप्तानी चली गई। दादा को टीम इंडिया से ड्रॉप कर दिया गया और अगले 2 साल भारतीय क्रिकेट में काले अध्याय की तरह रहे। बेटे की ऐसी स्थिति देखकर सौरव गांगुली के पिता चंडीदास कॉलेज ने उन्हें संन्यास की सलाह दे दी। पर दादा ने उम्मीद नहीं छोड़ी और वापसी कर दिखाई। अगर सौरव गांगुली के करियर पर नजर डालें, तो वह विश्व में सबसे ज्यादा रन बनाने के मामले में नौवें स्थान पर आते हैं। उन्होंने 113 टेस्ट मैचों में 7212 रन बनाए हैं। इस दौरान उनके बल्ले से 16 शतक और 35 अर्धशतक आए हैं। टेस्ट में उनका सर्वाधिक स्कोर 239 रन रहा। सौरव ने 311 वनडे मैचों में 11363 रन बनाए हैं। इस दौरान उन्होंने 22 शतक और 72 अर्धशतक लगाए हैं। ODI में सौरव गांगुली ने दो बार डेढ़ सौ का आंकड़ा पार किया और 183 उनका सर्वाधिक स्कोर रहा। 🌻