श्रीकृष्ण लीला की शुरूआत वर्ष 1971 में हुई थी। रामलीला कमेटी के कुछ पदाधिकारियों से विवाद के बाद कुछ लोग अलग हुए और उन्होंने दशहरे से श्रीकृष्ण लीला की शुरुआत कर दी। आगरा रोड स्थित चिरंजीलाल कन्या इंटर कॉलेज के परिसर में इसकी शुरुआत हुई।
पूरे देश में जब रामलीला की धूम होती है, तो अलीगढ़ में श्रीकृष्ण लीला भी होती है। इस लीला में भी दर्शकों का सैलाब उमड़ पड़ता है। इसकी भव्यता और मंचन देख दर्शक आनंदित हो उठते हैं। शहर की प्रसिद्ध श्रीकृष्ण लीला इस बार 53वें वर्ष में प्रवेश करने जा रही है। इसलिए श्री कृष्ण लीला महोत्सव को धूमधाम से मनाए जाने की तैयारी है। चिरंजीलाल इंटर कॉलेज में इसका आयोजन बृहस्पतिवार से होगा।
चैतन्य महाप्रभु की लीला खास
इस श्रीकृष्ण लीला की शुरूआत वर्ष 1971 में हुई थी। रामलीला कमेटी के कुछ पदाधिकारियों से विवाद के बाद कुछ लोग अलग हुए और उन्होंने दशहरे से श्रीकृष्ण लीला की शुरुआत कर दी। आगरा रोड स्थित चिरंजीलाल कन्या इंटर कॉलेज के परिसर में इसकी शुरुआत हुई। श्री कृष्ण लीला संस्थान की ओर से महोत्सव में चैतन्य महाप्रभु की भी लीला होती है। रात में श्री कृष्ण लीला का मंचन होता है तो सुबह चैतन्य महाप्रभु की लीला होती है। यह मंचन इतना भाव पूर्ण होता है कि दर्शकों की आंखें छलक उठती है।
श्रीराम शर्मा आचार्य की मंडली ने दी नई पहचान
देश और दुनिया में श्री कृष्ण लीला के माध्यम से एक नई पहचान दिलाने वाले पद्मश्री श्रीराम शर्मा आचार्य ने अलीगढ़ में श्रीकृष्ण लीला को भव्य स्वरूप दिया। अब यह कार्य उनके पुत्र पंडित कुंज बिहारी शर्मा संभाल रहे हैं। वही मंडली की कमान संभाले हुए हैं। इस बार भी वह कलाकारों के साथ आ रहे हैं। इस मंडली की खासियत यह है कि पूरी शास्त्रीय परंपरा के अनुसार मंचन किया जाता है।