अयोध्या: प्राण प्रतिष्ठा के बाद रामलला की पूजन पद्धति में होगा बदलाव, जानें धार्मिक समिति ने क्या बनाई नई नियमावली

अयोध्या। प्राण प्रतिष्ठा के बाद रामलला के नित्य आरती, भोग और दर्शन पूजन में भी बदलाव होंगे। इसके लिए श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की धार्मिक समिति ने नियमावली बनाई है। प्रतिदिन सुबह 4 बजे मंगला आरती से शुरू होगा और रात्रि 8 बजे शयन आरती के बाद विश्राम होगा। 

बताया जाता है कि 70 साल पहले 23 दिसंबर 1949 को जन्म स्थान पर प्राकट्य होने के बाद रामानंद सम्प्रदाय के तहत श्रीराम की पूजन की परंपरा शुरू हुई थी। तब से अनवरत चल रही पूजन पद्धति में 22 जनवरी 2024 के बाद बदलाव हो जाएगा।   

राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरी ने कहा कि रामानंद परंपरा में सामान्यत: सीताराम की पूजा पद्धति मिलती है। लेकिन यहां की परिस्थिति कुछ विशेष है। 

इस स्थान पर पांच वर्षीय श्री रामलला की पूजा की जानी है। इसलिए इनकी कुछ पद्धति में बदलाव किया जाना चाहिए था। जिसको लेकर सनातन, संस्कृति और परंपरा की विधि को संभालते हुए नई पूजा पद्धति तैयार की गई है। 

उन्होंने कहा कि पूजन पद्धति सुबह 4 बजे से आरंभ होगी और शयन तक अनेक प्रकार के विधान हैं। पहले मंगल आरती फिर श्रृंगार आरती के बाद राजभोग होगा। दोपहर की आरती भोग होगा और शायनकाल की आरती होगी फिर उसके बाद शयन आरती के बाद रामलला विश्राम करेंगे।  

रामानंद संप्रदाय की परंपरा से हो रहा पूजन : सत्येंद्र दास

रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि आज भी रामानंद संप्रदाय की परंपरा के मुताबिक रामलला का स्नान और श्रृंगार के बाद मंगला आरती सुबह 6:30 बजे की जाती है। और फिर दर्शन के लिए सुबह 7:00 बजे से श्रद्धालुओं के लिए मंदिर खुल जाता है। दोपहर 11:00 के बाद रामलला का दर्शन बंद हो जाता है। 

दोपहर 12:30 पर भोग और आरती के बाद विश्राम करते हैं। इसके बाद 2 बजे पुन: श्रद्धालुओं के दर्शन प्रारंभ होता है। जो शाम 7 बजे तक चलता है। और 7:30 मिनट पर शायनकाल आरती के बाद 8 बजे शयन आरती होती है।

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