साल के 365 दिन सूर्य की पहली किरण मंदिर में करेगी प्रवेश
न्यूज़ आई एन बी। उड़ीसा के कोणार्क मंदिर की तर्ज पर तहसील मिलक के गांव क्रिमचा के वेदभारती आश्रम में सूर्य मंदिर का निर्माण होने जा रहा है। इसके लिए लखनऊ की टीम ने सीमांकन भी कर लिया है। जनवरी 2024 में सूर्य मंदिर का भूमि पूजन होगा। सूर्य मंदिर का निर्माण 200 बेड अस्पताल (लखनऊ) के मालिक एवं वेदभारती आश्रम के संचालक डा. हरीश अग्रवाल द्वारा कराया जा रहा है।
- मंदिर के अंदर सूर्य देव के 12 अवतारों का किया जाएगा उल्लेख
- वास्तु विद्या के अनुसार लखनऊ के आर्किटेक्ट बना रहे नक्शा
- पुरातन खगोल विद्या के आधार पर हुआ सूर्य मंदिर का सीमांकन
सूर्य मंदिर का जिक्र हो तो कोणार्क मंदिर का नाम जेहन में आ ही जाता है। दरअसल, इतिहास के पन्नों में सूर्य मंदिर के नाम पर सबसे पहले कोणार्क दर्ज है। इसी मंदिर का लघु रूप अब अपने जिले की तहसील मिलक में बनने जा रहा है। यह मंदिर 2692 गज क्षेत्रफल में बनकर तैयार होगा। मंदिर की सबसे खास बात यह होगी कि वर्ष के 365 दिन उगते सूर्य की पहली किरण इस मंदिर में प्रवेश करेगी।
सूर्य मंदिर में किसी भी देवी देवता की मूर्ति की स्थापना नहीं होगी, बल्कि मंदिर के अंदर सूर्य देव के 12 अवतार- धाता, अर्यमा, मित्र, वरूण, इन्द्र, विवस्वान, पूषा, पर्जन्य, अंश, भग, त्वष्टा तथा विष्णु का लिखित रूप से उल्लेख किया जाएगा। सूर्य मंदिर का डिजाइन राजकीय आर्किटेक्ट कॉलेज लखनऊ के तत्कालीन प्रधानाचार्य शबाहत हुसैन व उनकी टीम बना रही है। शुक्रवार को नैनीताल के प्रख्यात खगोल वैज्ञानिक धीरज चंद्र भट्ट ने आर्किटेक्ट शबाहत हुसैन के साथ खगोल विद्या के अनुसार वेदभारती आश्रम में मंदिर का सीमांकन किया। वेदभारती आश्रम के संस्थापक डा. हरीश अग्रवाल का लक्ष्य है कि यह मंदिर दो वर्षों के अंदर पूर्ण हो जाए।
सूर्य मंदिर में हर धर्म के लोगों का होगा आगमन
वेदभारती आश्रम के संस्थापक डा. हरीश अग्रवाल बताते हैं, ऋग्वेद की रचना के बाद से प्रचलित हुई सूर्यदेव की उपासना की परंपरा बरकरार है। प्राचीन काल से ही सूर्य को पाप विनाशक तथा प्रखर बुद्धि का कारक माना गया है। मंदिर की चारदीवारी पर चार द्वार बनाए जाएंगे। जहां सिख, ईसाई, हिंदू और मुस्लिम सभी धर्मों के लिए अलग-अलग द्वार होगा। सभी धर्म के लोग मंदिर में आएं इसलिए किसी भी मूर्ति की स्थापना नहीं कराई जाएगी। सूर्य मंदिर एकता की मिसाल भी बनेगा।
हर मंत्र का अधिष्ठाता देवता होता है। गायत्री मंत्र का देवता सविता होता है। सविता से सूर्य भगवान प्रकाश लेते हैं। गायत्री उपासना वस्तुत: सूर्य उपासना है। इसलिए सूर्य मंदिर की स्थापना कराई जा रही है। सूर्य मंदिर लोगों को गायत्री ज्ञान विज्ञान से भी जोड़ेगा। – राम महेश मिश्र, संचालक, वेद भारती आश्रम।