सन 1992 में सांसद श्रीमती शीला गौतम से आलोक गौड़ जिलाध्यक्ष कांग्रेस सेवादल अलीगढ़ जो उस वक्त राष्ट्रीय छात्र संगठन के मंडल अध्यक्ष थे, ने मांग की थी जिसका उन्होंने चुनाव जीतने से पूर्व पुल बनवाने का वायदा किया था। आलोक गौड़ ने मीनाक्षी ओवर ब्रिज बनवाने की मांग के लिए 3 वर्ष तक आंदोलन किया था जिसमे 6 महीने क्रमिक अनशन जो बाद में आमरण अनशन ने तब्दील हो गया था।
आंदोलन के मुख्य आंदोलनकारी होने की वजह से आलोक गौड़ को गांधी शब्द के द्वारा पुकारा जाने लगा था। आलोक गौड़ ने सन 1992 में आंदोलन को निर्णायक दौर तक पहुंचाने का संकल्प लेते हुए कहा था कि जन भावनाओं की दृष्टिगत रखते हुए शासन प्रशासन से ओवर ब्रिज का निर्माण कराए जाने के लिए अंतिम सांस तक संघर्ष करेंगे। अंत में संघर्ष का परिणाम ये हुआ कि शासन प्रशासन को झुकना पड़ा और पुल का निर्माण हुआ।
—नूरुल हसन