पाकिस्तान के सियालकोट में बुधवार को मौलवी राशिद लतीफ़ की गोली मार कर हत्या कर दी गई.
दावा किया जा रहा है कि ये वही राशिद लतीफ़ हैं, जिन्हें भारत वर्ष 2016 में पठानकोट हमले का मास्टरमाइंड मानता है.
पठानकोट में हुए चरमपंथी हमले में सात भारतीय सैनिकों की मौत हो गई थी. हमले में शामिल सभी चरमपंथी भी मारे गए थे.
सियालकोट की पुलिस ने हत्या की पुष्टि की है और घटना की विस्तार से जानकारी भी दी है.
पुलिस ने इस पर कुछ नहीं कहा है कि क्या ये वही राशिद लतीफ़ है, जिनकी पठानकोट हमले में भारत को तलाश है.
लेकिन स्थानीय पत्रकार माजिद निज़ामी का कहना है कि ये वही राशिद लतीफ़ थे, जिन्हें भारत की सरकार पठानकोट हमले का मास्टरमाइंड मानती है.
भारतीय मीडिया भी ये दावा कर रहा है कि बुधवार को सियालकोट में जिस राशिद लतीफ़ की हत्या हुई है, उसका संबंध पठानकोट हमले से था.
सियालकोट पुलिस के मुताबिक़, घटना बुधवार सुबह की नमाज़ के दौरान दस्का तहसील में हुई.
आरोप है कि शाहिद लतीफ़ चरमपंथी संगठन जैश-ए-मोहम्मद से जुड़ा था और पठानकोट हमले में भारत को उसकी तलाश थी.
पुलिस ने हत्या और आतंकवाद की धाराओं के तहत दास्का सदर थाना में इसकी रिपोर्ट दर्ज की है.
दर्ज एफ़आईआर में पुलिस ने गुराया की नूर मस्जिद में तैनात गार्ड के बयान का हवाला देते हुए कहा है कि 11अक्तूबर की सुबह 20 से 22 साल की उम्र के तीन अज्ञात युवक नमाज़ करने के बहाने से मस्जिद में दाखिल हुए.
शिकायत के अनुसार, “जैसे ही मस्जिद में लोग नमाज़ के लिए खड़े हुए, तीनों ने गोलियाँ चलानी शुरू कर दीं. घटना में मौलाना शाहिद लतीफ़, मौलाना अब्दुल अहद और हाशिम नाम के तीन लोग घायल हो गये.”
एफ़आईआर में कहा गया है कि “मौलाना शाहिद लतीफ़ की मौत घटनास्थल पर ही हो गई, जबकि अन्य दो को अस्पताल ले जाया गया, जहाँ हाशिम की भी मौत हो गई.”
ये टारगेट किलिंग की घटना है: पुलिस
सियालकोट पुलिस के प्रवक्ता के मुताबिक़ हमलावरों की तलाश चल रही है, उनकी तलाश के लिए पुलिस ने विभिन्न स्थानों पर नाकेबंदी कर दी है.
वहीं सियालकोट के डीपीओ मोहम्मद हसन ने स्थानीय मीडिया से बातचीत में कहा, “अज्ञात हथियारबंद लोग मस्जिद में घुस आए थे, उन्होंने मस्जिद के भीतर गोलीबारी की. ये एक आतंकवादी घटना है. इसे हम टारगेट किलिंग भी कह सकते हैं. मौलाना शाहिद लतीफ़ और हाशिम बच नहीं सके, अब्दुल अहद हमले में घायल हुए हैं.”
उन्होंने कहा, “पुलिस को मौक़े से अहम सबूत मिले हैं, हम इस पर काम कर रहे हैं. शाहिद लतीफ़ को पहले ही ख़तरा था और उन्होंने इस संबंध में ज़रूरी सुरक्षा इंतज़ाम किए थे. इस मामले की जाँच सभी एजेंसियां मिलकर कर रही हैं.”
हादसा होने के बाद सुरक्षा को लेकर नाकेबंदी के बारे में मीडिया के सवाल पर डीपीओ का दावा था कि “पुलिस हादसे की ख़बर मिलते ही मौक़े पर पहुँची थी.”