नई दिल्ली। कांग्रेस के नेता एवं सांसद कार्ति चिदंबरम 2011 में 263 चीनी नागरिकों को वीजा जारी करने में कथित अनियमितताओं से जुड़े धनशोधन मामले की जांच में पूछताछ के लिए प्रवर्तन निदेशालय के समक्ष पेश नहीं हुए और उन्होंने इस मामले को ‘सबसे फर्जी’ करार दिया।
तमिलनाडु की शिवगंगा लोकसभा सीट से 52 वर्षीय सांसद को केंद्रीय एजेंसी ने इस सप्ताह यहां अपने कार्यालय में उपस्थित होने को कहा था। उन्हें धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत जांच के सिलसिले में अपने बयान दर्ज कराने थे। माना जा रहा है कि सांसद ने प्रवर्तन निदेशालय को सूचित किया है कि वह संसद का सत्र चलने के कारण व्यस्त हैं।
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीई) की प्राथमिकी के अनुसार, वेदांत समूह की कंपनी तलवंडी साबो पावर लिमिटेड (टीएसपीएल) के एक शीर्ष अधिकारी ने कार्ति और उनके करीबी सहयोगी एस भास्कररमन को रिश्वत के रूप में 50 लाख रुपये दिए थे। प्रवर्तन निदेशालय का 2022 का यह मामला इन्हीं आरोपों से जुड़ा है।
कार्ति ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि यह ‘सबसे फर्जी’ मामला है और उनके कानूनी सलाहकारों का दल इस संबंध में आगे कदम उठाएगा। उन्होंने कहा, ‘‘मुझ पर थोपे गए मामलों की तीन श्रेणियां हैं: फर्जी, अधिक फर्जी और सबसे फर्जी। यह तीसरी श्रेणी है। इससे मेरे वकील निपटेंगे।’’ सीबीआई ने पिछले साल चिदंबरम परिवार के परिसरों पर छापा मारा था और भास्कररमन को गिरफ्तार किया था, जबकि कार्ति से पूछताछ की गई थी।